लोकसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है और पश्चिम बंगाल भी इससे अछूता नहीं है। सूबे में भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन लेफ्ट के साथ कांग्रेस भी लड़ाई में खुद को पीछे नहीं मान रही। पश्चिम बंगाल की उस कूच बिहार लोकसभा सीट पर भी कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है जहां बीजेपी ने 2019 के चुनावों में जीत दर्ज कर तमाम सियासी पंडितों को चौंका दिया था। बता दें कि इस सीट पर जहां बीजेपी ने मौजूदा सांसद एवं केंद्रीय मंत्री निसिथ प्रमाणिक को मैदान में उतारा है, वहीं TMC ने जगदीश चन्द्र बसुनिया और AIFB ने नीतीश चंद्र रॉय पर दांव खेला है।
दिलचस्प रहा है कूच बिहार की लोकसभा सीट का इतिहास
कूच बिहार की लोकसभा सीट पर पहले और दूसरे आम चुनावों में कांग्रेस का कब्जा था। लेकिन 1962 में हुए तीसरे आम चुनावों में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने कांग्रेस से यह सीट कांग्रेस से छीन ली थी। 1963 में यह सीट फिर कांग्रेस को मिली, 1967 में एक बार फिर AIFB का कब्जा हुआ और 1971 में कांग्रेस ने इसे फिर हासिल कर लिया। हालांकि इसके बाद 1977 से लेकर 2014 तक इस सीट पर सिर्फ AIFB का ही परचम लहराता रहा। 2014 में तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार रेणुका सिन्हा ने AIFB के कैंडिडेट को हराकर कई सालों का वर्चस्व तोड़ दिया। फिलहाल इस सीट से केंद्रीय मंत्री निसिथ प्रमाणिक सांसद हैं।
निसिथ प्रमाणिक ने लगाई थी TMC और लेफ्ट के गढ़ में सेंध
कूच बिहार में 2019 में बीजेपी को मिली कामयाबी आसान नहीं थी। इससे पहले हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार और विजेता उम्मीदवार के मतों में लाखों का अंतर रहता था। 2019 में न सिर्फ निसिथ ने उस अंतर को पाटा, बल्कि 50 हजार से भी ज्यादा मतों से अपने प्रतिद्वंदी को पीछे छोड़ दिया। निसिथ को इसका इनाम भी मिला और मात्र 35 साल की उम्र में उन्हें केंद्र में गृह राज्य मंत्री बनाया गया। गृह मंत्रालय के साथ ही वह खेल मंत्रालय का काम भी देखते हैं। बीजेपी उम्मीद कर रही होगी कि निसिथ इस बार भी 2019 वाला कारनामा दोहराएंगे।
TMC की तरफ से बसुनिया दिखाएंगे कूच बिहार में दम
तृणमूल कांग्रेस ने कूच बिहार की सीट से सीताई के विधायक जगदीश चन्द्र बसुनिया को उतारा है। तृणमूल कांग्रेस को उम्मीद होगी कि यह जमीनी नेता एक बार फिर कूच बिहार में तृणमूल का परचम लहराएगा। बसुनिया ने 2021 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर सीताई विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार दीपक कुमार रॉय को एक बेहद करीबी लड़ाई में 10 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से हराया था। उन चुनावों में दोनों प्रत्याशियों को एक लाख से ज्यादा वोट मिले थे। माना जा रहा है कि बिसुनिया और निसिथ के बीच इस बार कांटे की टक्कर हो सकती है।
नीतीश चंद्र रॉय वापस ला पाएंगे AIFB के ‘पुराने दिन’?
कूच बिहार के सियासी मैदान में तीसरा नाम नीतीश चंद्र रॉय का है। ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक अपने प्रत्याशी से उम्मीद कर रही होगी कि वह एक बार फिर से कूच बिहार में उसे ‘जिंदा’ कर देंगे। पश्चिम बंगाल की इस लोकसभा सीट पर 1977 से लेकर 2014 तक AIFB का एकछत्र राज रहा है। हालांकि जहां 2014 में पार्टी के प्रत्याशी को 32.98 फीसदी वोट मिले थे, वहीं 2016 के उपचुनाव में यह घटकर 6.49 फीसदी और 2019 के लोकसभा चुनावों में 3.07 फीसदी रह गया था। ऐसे में समझा जा सकता है कि 2024 के चुनावों में AIFB प्रत्याशी नीतीश के लिए चुनौती आसान नहीं है।
बंगाल में 7 चरणों में संपन्न होंगे लोकसभा चुनाव
2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में अपने शानदार प्रदर्शन से पूरे विपक्ष को चौंका दिया था। पार्टी ने इस राज्य में लोकसभा की 42 में से 18 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था जबकि तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को इन चुनावों में 2 सीटों पर जीत मिली थी जबकि लेफ्ट का खाता खाली ही रह गया था। 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदान 7 चरणों में 19 अप्रैल को शुरू होगा और 1 जून को खत्म होगा जबकि मतगणना 4 जून को होगी। पश्चिम बंगाल में भी सभी सातों चरणों में वोट डाले जाएंगे, और कूच बिहार की सीट पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा।